Monday, July 9, 2018

भीख ना मांगना


नबी ए करीम ने सवाल करने वाले (या'नी भीख मांगने वाले) को कमा कर खाने की
अनोखी रहनुमाई फ़रमायी

एक बार रसूल की ख़िदमत में किसी भिखारी ने सवाल किया।तो अल्लाह के नबी ने
फ़रमाया: क्या तेरे घर कुछ है?

अर्ज़ किया: सिर्फ़ एक कम्बल है जिसको आधा बिछाता हूँ आधा ओढ़ता हूँ और एक प्याला है
जिससे पानी पीता हूँ।
फ़रमाया: वो दोनों ले आओ।

रसूल ने मजमे से ख़िताब करके फ़रमाया : इसे कौन ख़रीदता है?
एक ने अर्ज़ किया कि मैं दिरहम से लेता हूँफ़िर दो तीन बार फ़रमाया कि दिरहम से ज़्यादा कौन देता है ?
दूसरे ने अर्ज़ किया: मैं 2 दिरहम में ख़रीदता हूँरसूल ने वोह दोनों चीज़े उन्ही को अता
फ़रमा दीं
 और यह 2 दिरहम उस भिखारी को देकर फ़रमाया कि एक का ग़ल्ला (अनाज)🥙 ख़रीद कर घर में
डालो दूसरे दिरहम की कुल्हाड़ी ख़रीद कर मेरे पास लाओ ।

फ़िर उस कुल्हाड़ी में अपने मुबारक हाथ से दस्ता डाला और फ़रमाया: जाओ लकड़ियां काटो
और बेचो और 15 रोज़ तक मेरे पास न आना
वो भिखारी 15 रोज़ तक लकड़ियां काटते और बेचते रहे 15 रोज़ के बाद जब बारगाहे नबवी मे हाज़िर हुएे तो उनके पास खाने पीने के बाद 10 दिरहम बचे थे उसमें से कुछ का कपड़ा ख़रीदा कुछ का ग़ल्ला।

रसूल ने फ़रमाया, यह मेहनत तुम्हारे लिए मांगने
से बेहतर है।
(इब्ने माजाह जिल्द 3 हदीस 2198 सफ़ा 36)

ग़ौर फ़रमाइए

रसूल ने तो जिसके पास सिर्फ़ 2 चीज़ें ( कम्बल और प्याला) था उसे भी भीख मांगने के बजाए कमा कर खाने की तरग़ीब दिलायी

जबकि हमने भीख दे दे कर इनकी तादाद बढ़ा दी है  जिसकी वजह से भिखाारियों की सबसे ज़्यादा तादाद मुसलमानो में है ये लोग बाज़ारों, गलियों-मुहल्लों और आम जगहों पर मुसलमानी हुलिये में
भीख मांग कर हमारे प्यारे मज़हब दीने इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं
इनका सबसे ज़्यादा शिकार हमारी भोली भाली माँ - बहने होती हैं लिहाज़ा बेदारी लाइये,

अपने दोस्तो अहबाब ख़ास कर अपने घरों की ख़्वातीन को समझाइये इन्हे भीख देकर मुसलमानो में भिखारियों की तादाद बढ़ाने का ज़रिया न बनिए। ज़कात फ़ित्र और सदक़ा से अपने कमज़ोर पडोसी अपने रिश्तेदारो या फिर आप जिसे जानते हो उसे भीख समझकर नहीं बल्कि उसकी माली मदद करके उसे मज़बूत बनाने में लगाए. अल्लाह से दुआ भी करे।

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