रहमत की बारिश और हुज़ूर सललल्लाहू अलैह वसल्लम का दिलचस्प किस्सा
ज़ैद बिन खालिद अल-जुहानी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूलल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम ने हूमें हुदेबिया में सुबह की नमाज़ पढ़ाई और रात को बारिश हो चुकी थी, नमाज़ से फारिग होने के बाद आप सललल्लाहू अलैही वसल्लम ने लोगो की तरफ मुँह किया और फरमाया|
मालूम है तुम्हारे रब ने क्या फरमाया है , लोगों ने कहा की अल्लाह और उसके रसूल सललल्लाहू अलैही वसल्लम खूब जानते हैं ,आप ने फरमाया की तुम्हारे ऱब का इरशाद है की सुबह हुई तो मेरे कुछ बंदे मोमीन रहे और कुछ काफ़िर हो गये|
जिसने कहा की अल्लाह के फ़ज़ल और रहमत से हमारे लिए बारिश हुई तो वो मेरा मोमीन है और सितारो का मुनकीर है और जिसने कहा की फ़लाह सितारे की फ़लाह जगह पर आने से बारिश हुई|
तो वो मेरा मुनकीर है (यानी मुझसे कुफ्र किया) और सितारो का मोमीन है (यानी सितारो पर ईमान रखने वाला है)
सही बुखारी, जिल्द 1, 846
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अल क़ुरान : ईमान वाले तो वो ही हैं जब अल्लाह सुबहानहु का नाम आए तो उनके दिल डर जाए और जब उसकी आयतें उन पर पढ़ी जाए तो उनका ईमान ज़ियादा हो जाता है और वो अपने रब पर भरोसा रखते हैं.वो जो नमाज़ क़ायम करते हैं और जो हमने उन्हे रिज़क़ दिया है उसमें से खर्च करते हैं.
यही सच्चे ईमान वाले हैं और उनके रब के यहाँ उनके लिए दर्जे हैं और बखशीश है और ईज्ज़त का रिज्क है.
अल क़ुरान, सुराह अनफाल (8), आयत 2-4
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