*रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया:*
ऐसी औरतों के घरों में दाखिल ना हो, जिनके शौहर पति घरों पर ना हो,
इसलिए के शैतान तुम मे से हर एक के अंदर ऐसे ही दौड़ता है जैसे खून जिस्म में दौड़ता है।
(सुन्न तिर्मज़ी हदीस न:1172)
*रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:*
"तुम (अजनबी) औरतो के पास जाने से बचो"
एक अंसारी सहाबी ने पूछा ," ए अल्लाह के रसूल, देवर के बारे में आपका ख्याल है ?"
*आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:*
देवर तो मौत है।
(सुन्न तिर्मज़ी, हदीस न:1171)
इस हदीस के बारे में उलेमा फरमाते है कि ये हदीस औरत के पति के उन सभी मर्द रिश्तेदारों पे लागु होती है जो उसके नामहरम है।
उलेमा फरमाते है कि इस हदीस में देवर को मौत इसलिए कहा गया है क्योंकि किसी औरत का देवर के साथ अकेले बैठना उन्हें जिनाकारी तक लेकर जा सकता है, या पति-पत्नी का तलाक भी हो सकता है जो मौत की मानिंद है। ये एक गम्भीर बात है।
जब शौहर के सगे भाई देवर के बारे में यह हुक्म है तो फिर शौहर के यार दोस्तो के बारे तो इससे भी बड़ा सख्त हुक्म होगा।
आप कह सकते की मेरे भाई व दोस्त पे या मेरी पत्नी पे मुझे यकीन है, लेकिन बात यकीन होने या न होने की नही है, बात है शरीयत के दायरे की।
अल्लाह ने अगर हमारे लिए एक हद मुकर्रर की है तो जरूर हमारा ही फायदा है इसलिए ये जरूरी है कि हम अपने दायरे में रहे !।
*अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:*
" जब कोई मर्द किसी नामहरम औरत के पास तन्हा बैठता है, तो वहाँ तीसरा शैतान मौजूद होता है।"
मतलब यह है कि जो औरत घर में अकेली हो उसके घर पर उसके पास जाना मजाक मस्करी करना,
बगैर काम व ज़ुरूरत के जाना जाइज़ नही है,
क्योंकि शैतान कब भहका दे इंसान को पता ही नही चलता है...
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