एक दिन हजरत
जिब्रईल अलैहिस्सलाम एक तबाक लेकर आए जो जन्नत के सेबो से लबरेज था तब आप हुजूर
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने रखकर अर्ज़ किया या रसूलल्लाह आप इसमें से उस
शख्स को इनायत कीजिए
जो आपको प्यारा हो यह तबाक एक नूरानी ख्वानपोश से ढका हुआ था हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अपना दस्ते अनवर उस में दाखिल फरमा कर एक सबे निकाला देखते क्या है कि उसकी एक जानिब तो लिखा हुआ है यानि हे खुदा का तोहफा अबूबक्र सिद्दीक के लिए और उसकी दूसरी जानिब इबारत लिखी हुई थी
जो आपको प्यारा हो यह तबाक एक नूरानी ख्वानपोश से ढका हुआ था हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अपना दस्ते अनवर उस में दाखिल फरमा कर एक सबे निकाला देखते क्या है कि उसकी एक जानिब तो लिखा हुआ है यानि हे खुदा का तोहफा अबूबक्र सिद्दीक के लिए और उसकी दूसरी जानिब इबारत लिखी हुई थी
सिद्दीक से बुग्ज
रखने वाला वे दीन है
फिर आपने दूसरा
सेब उठाया उसके एक तरफ तो यह लिखा था यह खुदाए वहहाब का तोहफा है उमर बिन खत्ताब के लिए
और दूसरी जानिब
यह लिखा है उमर के दुश्मन का ठिकाना जहन्नम में है
इसके बाद एक और
सेब उठाया जिसके एक जानिब यह लिखा था वह खुदाए मन्नान व हन्नान का तोहफा है उस्मान
बिन अफ्फान के लिए दूसरी तरफ यह लिखा था
उस्मान का दुश्मन
रहमान का दुश्मन है
फिर हुजूर
सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने तबाक में से एक और सेब उठाया जिसकी एक जानिब तो यह
लिखा था
खुदाए ग़ालिब का
तोहफा है अली इब्ने अबी तालिब के लिए और दूसरी जानिब यह लिखा है
अली का दुश्मन खुदा का दोस्त नहीं
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन इबारात को
पढ़कर अल्लाह की बेहद हम्द व सना की
(नुज़हतुल मजालिस
जिल्द नंबर 2 सफा नंबर 361)
(हुजूर सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम के यह चार यार जिंनकी बाज़ हिकायत आपने पढ़ीं मर्तबो और दर्जो के मालिक
हैं इन चार याराने नवी का दुश्मन अल्लाह का दुश्मन है लेहाजा हर मुसलमान को इन चार
यार से मोहब्बत रखना लाजिम है और इनकी अदावत से बचना बाजिब है वरना ईमान की ख़ैर
नहीं)
No comments:
Post a Comment