जो खुश नसीब
मुसलमान रमज़ान में इन्तिक़ाल करता है उस को सुवालाते क़ब्र से अमान मिल जाता है,
अज़ाबे क़ब्र से बच जाता और जन्नत का हक़दार क़रार
पाता है।
चुनान्चे हज़राते मुहद्दिसिने किराम का क़ौल है "जो मोमिन इस महीने में मरता है वो सीधा जन्नत में जाता है, गोया उस के लिये दोज़ख का दरवाज़ा बन्द है। (अनिसुल वाइज़िन, 25)
चुनान्चे हज़राते मुहद्दिसिने किराम का क़ौल है "जो मोमिन इस महीने में मरता है वो सीधा जन्नत में जाता है, गोया उस के लिये दोज़ख का दरवाज़ा बन्द है। (अनिसुल वाइज़िन, 25)
तीन अफ़राद के लिये जन्नत की बशारत
हज़रत अब्दुल्लाह
इब्ने अब्बास رضي الله عنه से रिवायत है, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का फरमान है : जिसको रमज़ान के
इख्तिताम के वक़्त मौत आई वो जन्नत में दाखिल होगा और जिस की मौत अरफा के दिन (यानि
9 जुल हिज्जतुल हराम) के खत्म होते वक़्त मौत आई वो भी जन्नत में
दाखिल होगा और जिस की मौत सदक़ा देने की हालत में आई वो भी दाखिले जन्नत होगा।
(हिल्यतुल औलिया, 5/26, हदिष:6187)
क़यामत तक रोज़ो का सवाब
आइशा सिद्दिक़ा رضي الله عنها से रिवायत है, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का इर्शाद है : जिसका रोज़े की हालत
में इन्तिक़ाल हुवा, अल्लाह उस को
क़यामत तक रोज़ो का सवाब अता फ़रमाता है।
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : ये रमज़ान तुम्हारे पास
आ गया है, इस में जन्नत के दरवाज़े
खोल दिये जाते है और जहन्नम के दरवाज़े बंद कर दिये जाते है और शयातीन को क़ैद कर
दिया जाता है, महरूम है वो शख्स
जिस ने रमज़ान को पाया और उस की मगफिरत न हुई की जब इस की जब इसकी रमज़ान में मगफिरत
न हुई तो फिर कब होगी ?
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70 साल की इबादत
70 साल की इबादत
एक अल्लाह के नेक
बन्दे जिन्होंने 70 साल तक अल्लाह
की इबादत में गुजार दिए...
इंतेक़ाल के बाद आप एक मुरीद के ख्वाब में आये, मुरीद ने पूछा
हज़रत क्या हाल है ?
आप ने फरमाया की
कुछ नहीं, बस बख्शीश नहीं हुई है
अभी तक ...
मुरीद ने कहा
हज़रत आप ने 70 साल तक अल्लाह
की इबादत की है ! बख्शीश कैसे नहीं
हुई ?
आप ने फ़रमाया -
उस 70 साल की इबादत के बारे
में तो मुझसे पूछा ही नहीं गया,
मेरा मामला तो बस
एक बात पर रुका हुआ है !
पूछा- क्या मामला
है ?
हज़रत ने फ़रमाया: एक मर्तबा में अपने आँगन में बैठा हुआ था तेज़ धुप
थी और अचानक बारिश होने लगी, और मेरे मुह से
निकल गया "उफ़ ये बेवक़्त की बारिश" बस अल्लाह ने मुझसे पूछा है की वो बारिश
बेवक़्त कैसे थी इसे साबित करो....
क्योंकि अल्लाह
के यहाँ तो हर चीज़ का एक वक़्त मुक़र्रर है अब में उसे
बेवक़्त कैसे साबित करूँ....?
ये तेज़ गर्मी। तेज़ बारिश। या तेज़ सर्दी । सब अल्लाह की
मर्जी है ! कब क्या करना है
और कैसे करना है उसके यहाँ सब तय है ।।।
उसके कामो में
अपनी कमअक्ली न लगाएं और अपनी ज़ुबान से
ऐसे अलफ़ाज़ कभी भी ना निकले जो उसकी शान के
खिलाफ हो ।
अल्लाह हम सबको
अमल की तौफ़ीक़ फरमाये ।
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