Sunday, July 15, 2018

हदीश: क्या सोहर को बीवी गुस्ल दे सकती है

ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ                                              



حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ يَحْيَى، ‏‏‏‏‏‏حَدَّثَنَا أَحْمَدُ بْنُ خَالِدٍ الذَّهَبِيُّ، ‏‏‏‏‏‏حَدَّثَنَا مُحَمَّدُ بْنُ إِسْحَاق، ‏‏‏‏‏‏عَنْ يَحْيَى بْنِ عَبَّادِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ الزُّبَيْرِ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ أَبِيهِ، ‏‏‏‏‏‏عَنْ عَائِشَةَ، ‏‏‏‏‏‏قَالَتْ:‏‏‏‏  لَوْ كُنْتُ اسْتَقْبَلْتُ مِنَ الأَمْرِ، ‏‏‏‏‏‏مَا اسْتَدْبَرْتُ مَا غَسَّلَ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ غَيْرُ نِسَائِهِ .



उम्मुल मोमिनीन हज़रत आईशा रअ कहती हैं कि "अगर मुझे अपनी इस बात का इल्म पहले ही हो गया होता जो बाद में हुआ तो नबी अकरम को आपकी बीवीयां ही ग़ुसल देतीं"।




ام المؤمنین عائشہ رضی اللہ عنہا کہتی ہیں کہ "اگر مجھے اپنی اس بات کا علم پہلے ہی ہو گیا ہوتا جو بعد میں ہوا تو نبی اکرم صلی اللہ علیہ وسلم کو آپ کی بیویاں ہی غسل دیتیں"۔


वजाहात: इस हदीस से यह साबित होता है की औरत अपने शोहर को गुस्ल दे सकती है क्यों की बीवी मेहरम हमराज होती है, औरइस से सत्तर भी नही होता, पास इसका गुस्ल देना शौहर को बेनिस्बत दुसरो से अव्वल और बेहतर है,  और हजरत अबू बकर सिद्दीकी रज़ी अल्लाह अन्हो को उनकी बीवी अस्मा बिन्त अमीन रा. ने गुस्ल दीया, और किसी साहबी ने इसपर नाकिर नही की..
अल मुवात्ता: 525



और ये मसला इतेफाकी है, नेज़ उमुल उम्मुल मोमीनेन हजरत आयेशा रा० ने नबी अकरम को गुस्ल ना दे पाने पर अफसोस का इज़हर किया है, अगर अगर ये जाईज़ ना होता तो अफ़सोस का इजहार ना करती। इसी तरह बीवी के वफात बाद शोहर अपने बीवी को गुस्ल देना चाहे तो गुस्ल दे सकता है, नबी अकरम  ने  फरमाया:  ए आयेशा ! अगर तुम मुज से पहले वफात पा जाओ तो मै () तुम्हे गुस्ल दूंगा, 
ibibne majah: 1465



इश हदीस से एक और बात रद्द होती है की शोहर के वफात के बाद बीवी अपने खाविंद को नही देख सकती, बल्कि देख भी सकती है और गुस्ल भी दे सकती है।


Sunan ibne majah: jild 1, kitab Al janaa'iz 6, hadith no. 1464

                                           

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