हदीस-: हज़रते याला
रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक आदमी
को मैदान मे नहाते देखा और फिर मिम्बर पर तशरीफ ले जाकर अल्लाह की हम्द व सना के
बाद
फ़रमाया की अल्लाह तआला हया फरमाने वाला है और पर्दापोश है ! हया और पर्दा करने वाले दोस्त रखता है जब तुम में कोई नहाये तो उसे पर्दा करना लाज़िम है !
फ़रमाया की अल्लाह तआला हया फरमाने वाला है और पर्दापोश है ! हया और पर्दा करने वाले दोस्त रखता है जब तुम में कोई नहाये तो उसे पर्दा करना लाज़िम है !
(अबू दाऊद शरीफ,
बहारे शरीयत 2/28)
हदीस: हज़रत
अब्दुल्लाह इब्ने उमर से रिवायत है की हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु ने रसुलुल्लाह
सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से पूछा की उनको रात में नहाने की जरूरत हो जाती है
! फ़रमाया वुज़ू कर लो और उज़्वे तनासुल(लिंग) को धो लो फिर सो जाओ !
(सही बुखारी,
बहारे शरीअत, 2/29)
हदीस:- अबु सईद
खुदरी रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत हे की हुज़ूर ए करीम ने फरमाया की जब तुम में कोई
अपनी बीवी के पास जाकर दुबारा जाना चाहे तो वुज़ू कर ले !
(मुस्लिम शरीफ,
बहारे शरीयत, 2/29)
हदीस:- हरज़त आइशा
सिद्दीक़ा रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है की ताजदार ए मदीना से सवाल हुआ की
मर्द तरी पाये और एहतिलाम याद ना हो ! फरमाया गुस्ल करे और उस आदमी के बारे में
पूछा गया की ख्वाब का यकीन है और तरी(असर) नही पाता ! फरमाया उस पर गुस्ल नही !
उम्मे सुलैम ने अर्ज़ की कि औरत तरी को देखे तो उस पर गुस्ल है? फरमाया हाँ औरते मर्दों की तरह है !
(तिर्मिज़ी शरीफ,
बहारे शरीअत, 2/29)
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